
राज्यभर में एक लाख से अधिक चापाकलों की हुई मरम्मति : मंत्री श्री नीरज कुमार सिंह
ग्रामीण क्षेत्रों में पेयजल आपूर्ति की निरंतरता सुनिश्चित करने के लिए लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग द्वारा संचालित सतत् चापाकल मरम्मति अभियान के तहत वर्ष 2024-25 में राज्यभर में कुल 1,00,392 चापाकलों की मरम्मति की गई है। वहीं, वित्तीय वर्ष 2025-26 के पहले चार महीनों—मार्च 2025 से 24 जुलाई 2025 के दौरान राज्यभर में 89,842 चापाकलों की मरम्मति सुनिश्चित की जा चुकी है ।
इस संबंध में विभागीय मंत्री, श्री नीरज कुमार सिंह ने जानकारी दी कि वर्तमान में 431 चलंत चापाकल मरम्मति दल प्रखंड और पंचायत स्तर पर कार्यरत हैं, जो नियमित क्षेत्र भ्रमण कर खराब चापाकलों की मरम्मति सुनिश्चित कर रहे हैं। मरम्मति कार्य जिला स्तरीय नियंत्रण कक्ष, टोल फ्री नंबरों तथा पंप हाउस में रखे शिकायत पंजियों के माध्यम से प्राप्त आमजनों की शिकायतों के आधार पर प्राथमिकता से किया जा रहा है।
मंत्री श्री सिंह ने आगे बताया कि राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों में विभाग के लगभग 8 लाख चापाकल अधिष्ठापित हैं। मरम्मति की सूचना प्राप्त होते ही संबंधित क्षेत्र में चलंत वाहन मरम्मति दल भेजे जाते हैं। प्रत्येक मरम्मति कार्य की रिपोर्ट ऑनलाइन पोर्टल पर अपलोड की जा रही है, जिसमें Geo-tagged फोटोग्राफ एवं सामाजिक प्रमाणिकरण अनिवार्य किया गया है।
उत्तर बिहार के सीतामढ़ी, मधुबनी और दरभंगा जिले के कुछ हिस्सों में भू-जल स्तर में गिरावट और संभावित सूखे की स्थिति को देखते हुए विभाग द्वारा इन क्षेत्रों में विशेष सतर्कता के साथ कार्य किया जा रहा है। मरम्मति दलों को इन संवेदनशील क्षेत्रों में लगातार सक्रिय रहकर जलस्रोतों की क्रियाशीलता सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए हैं, ताकि किसी भी प्रकार से स्वच्छ जलापूर्ति बाधित न हो।
साथ ही संभावित जलसंकट की पूर्व तैयारी के तहत विभाग द्वारा 528 नए चापाकलों की स्थापना को स्वीकृति भी प्रदान की गई है। ये चापाकल चयनित टोलों और बसावटों में प्राथमिकता के आधार पर स्थापित किए जाएंगे, ताकि नियमित जलापूर्ति में किसी अस्थायी व्यवधान की स्थिति में ये वैकल्पिक जलस्रोत के रूप में तत्काल सहायता प्रदान कर सकें। मंत्री श्री नीरज कुमार सिंह ने कहा कि, “हम केवल पेयजल की आपूर्ति तक सीमित नहीं हैं, बल्कि संभावित संकट से पूर्व व्यापक तैयारी और जवाबदेही के साथ कार्य कर रहे हैं, ताकि किसी भी ग्रामीण क्षेत्र में जल संकट की स्थिति उत्पन्न न हो।”
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