पारस एचएमआरआई के ईएनटी डॉक्टर ने 17 साल के मरीज की बचाई जान

पारस एचएमआरआई के ईएनटी डॉक्टर ने 17 साल के मरीज की बचाई जान

• ट्रेन में बेतहाशा नाक से ब्लीडिंग ने हालत खराब की
• हार्ट का रेगुलर चेकअप करा एम्स दिल्ली से लौट रहा था मरीज
पटना।
पारस एचएमआरआई की *ईएनटी कंसल्टेंट डॉ. रश्मि प्रसाद* ने नाक से लगातार ब्लीडिंग के एक 17 वर्षीय मरीज की जान बचा ली। दिल्ली एम्स में अंकित रंजन (अररिया) के हार्ट की सर्जरी हुई थी, जिसके बाद उसके वाल्व रिप्लेस किए गए थे। इसी बाबत वह रेगुलर चेकअप करा ट्रेन से वापस घर आ रहा था कि रास्ते में ही बेतहाशा ब्लीडिंग शुरू हो गई। स्थिति इतनी गंभीर हो गई कि आगे के स्टेशन पर उतरकर हॉस्पिटल जाना पड़ा। वहां डॉक्टरों ने नाक में पैक लगाने की कोशिश की लेकिन ब्लीडिंग नहीं रुकी। गंभीर स्थिति में पारस एचएमआरआई हॉस्पिटल के इमरजेंसी में उसे भर्ती कराया गया। ईएनटी कंसल्टेंट डॉ. रश्मि प्रसाद के नेतृत्व में सर्जरी की गई, जिसमें  एंडोस्कोपी (दूरबीन) के माध्यम से ब्लीडिंग को कंट्रोल कर पैकिंग की गई। अब मरीज बिल्कुल स्वस्थ है और ब्लीडिंग रुक चुकी है। तीसरे दिन ही उसे डिस्चार्ज कर दिया गया है। 

डॉ. प्रसाद ने बताया कि मरीज क्रिटिकल मेडिकल कंडीशन में हॉस्पिटल पहुंचा था। लगातार हो रही ब्लीडिंग के कारण उसका हीमोग्लोबीन लेवल 5 ग्राम प्रति डेसीलीटर (g/Dl) पर आ चुका था। कार्डियोलॉजी के अनुसार वह ब्लड थिनर पर था और उसे खून जमाने की दवाई नहीं दी जा सकती थी, नहीं तो हार्ट का वाल्व ब्लॉक हो सकता था। खून को अगर पतला किया जाता तो ब्लीडिंग रुकती नहीं। मरीज को एनेस्थीसिया देकर बेहोश करना भी बहुत हाई रिस्क था, इसलिए लोकल एनेस्थीसिया का प्रयोग करके दूरबीन के माध्यम से ब्लीडिंग को रोका गया। 
पारस एचएमआरआई के *जोनल डायरेक्टर अनिल कुमार* ने बताया कि पारस एचएमआरआई हॉस्पिटल का ईएनटी डिपार्टमेंट बिहार में पहले नंबर पर आता है, जहां अत्याधुनिक एंडोस्कोपिक और माइक्रोस्कोपिक सर्जरी की सुविधा उपलब्घ है। पूरे प्रदेश ही नहीं पड़ोसी राज्यों से भी मरीज यहां इलाज कराने पहुंचते हैं।
*पारस एचएमआरआई के बारे में* 
पारस एचएमआरआई पटना ने 2013 में परिचालन शुरू किया। यह बिहार का पहला कॉर्पोरेट अस्पताल है जिसके पास परमाणु ऊर्जा नियामक बोर्ड द्वारा लाइसेंस प्राप्त कैंसर उपचार केंद्र है। जून 2024 में एक्सेस किए गए एनएबीएच पोर्टल के अनुसार, पारस एचएमआरआई अस्पताल, पटना 2016 में एनएबीएच मान्यता प्राप्त करने वाला बिहार का पहला अस्पताल था। 30 सितंबर 2024 तक इस अस्पताल की बेड क्षमता 350 बेडों की है, जिसमें 80 आईसीयू बेड शामिल हैं।

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