न्यूरोसाइंस के जरिए ब्रेन स्ट्रोक को दी जा रही मात - पारस एचएमआरआई
• विशेषज्ञों ने ब्रेन स्ट्रोक से बचने की नई तकनीकों के बारे में बताया
• नई दवाओं के प्रयोग और नए अनुसंधानों के बारे में हुई चर्चा
पटना।
पारस एचएमआरआई हॉस्पिटल और आइएमए बिहार के संयुक्त तत्वाधान में शनिवार को एग्जिबिशन रोड स्थित होटल लेमन ट्री में एक सीएमई का आयोजन किया गया, जिसका विषय था – “न्यूरोसाइंस के क्षेत्र में प्रोन्नत्ति।“ मुख्य अतिथि के रूप में कार्यक्रम का उद्घाटन आइएमए, बिहार के चीफ पैट्रन सहजानंद प्रसाद सिंह और पारस एचएमआरआई पटना के जोनल डायरेक्टर अनिल कुमार एवं लेप्रोस्कोपिक एवं जेनेरल सर्जरी विभाग के डायरेक्टर डॉ.अहमद अब्दुल हई ने किया। इस मौके पर न्यूरोसाइंस के क्षेत्र में हो रहे नए-नए अनुसंधान, अत्याधुनिक तकनीकों और दवाओं के प्रयोग से ब्रेन स्ट्रोक से बचने के बारे में विस्तार से बताया गया।
इस अवसर पर सीनियर कंसल्टेंट *डॉ. अभिषेक* ने कहा कि तीव्र स्ट्रोक प्रबंधन में थ्रोम्बोलाइसिस एक महत्वपूर्ण उपचार है। यह मस्तिष्क में अवरुद्ध रक्त प्रवाह को फिर से चालू करने के लिए दवा का उपयोग करता है, जो रक्त के थक्के को घोल देता है। स्ट्रोक के गंभीर मामलों में, थ्रोम्बोलाइसिस मस्तिष्क के नुकसान को कम करने और रोगी के जीवित रहने की संभावना को बेहतर बनाने में मदद कर सकता है।
कार्यक्रम के दूसरे सत्र में न्यूरोसर्जरी और न्यूरोइंटरवेंशन के डायरेक्टर एवं विभागाध्यक्ष *डॉ. अम्बुज कुमार* ने कहा कि एक्यूट इस्केमिक स्ट्रोक (acute Ischemic stroke) और एन्यूरिज्म के प्रबंधन में न्यूरो इंटरवेंशव एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। मैकेनिकल थ्रोम्बेक्टॉमी (MT) एंडोवैस्कुलर उपचार (EVT), मस्तिष्क में रक्त प्रवाह को बहाल करने में मदद करते हैं। उन्होंने बताया कि एक्यूट इस्केमिक स्ट्रोक के प्रबंधन में समय महत्वपूर्ण है। हर मिनट इस्केमिया (ब्लड फ्लो की कमी) के कारण मस्तिष्क की कोशिकाएं मरना शुरू कर देती हैं।
पारस एचएमआरआई के *जोनल डायरेक्टर अनिल कुमार* ने कहा कि न्यूरोसाइंस के क्षेत्र में काफी प्रगति हुई है। अत्याधुनिक तकनीकों और दवाओं के माध्यम से आज ब्रेन स्ट्रोक जैसी गंभीर समस्या से निजात पाया जा रहा है। नित नए-नए अनुसंधान और प्रौद्योगिकी के विकास ने मेडिकल क्षेत्र में क्रांति ला दी है।
इस अवसर पर दो सत्रों में पैनल डिस्कशन का आयोजन भी किया गया, जिसमें *डॉ. हेमंत कुमार, डॉ. रवींदू, डॉ. वीर अभिमन्यु पंडित* , *डॉ. नीरज झा* ने अपने विचार रखे। इस अवसर पर आइएमए, बिहार के स्टेट प्रेसिडेंट *डॉ. अशोक यादव,* स्टेट सेक्रेटरी *डॉ. संतोष कुमार सिंह* सहित हॉस्पिटल के सभी डॉक्टर और चिकित्साकर्मी मौजूद रहे।
*पारस एचएमआरआई के बारे में*
पारस एचएमआरआई पटना ने 2013 में परिचालन शुरू किया। यह बिहार का पहला कॉर्पोरेट अस्पताल है जिसके पास परमाणु ऊर्जा नियामक बोर्ड द्वारा लाइसेंस प्राप्त कैंसर उपचार केंद्र है। जून 2024 में एक्सेस किए गए एनएबीएच पोर्टल के अनुसार, पारस एचएमआरआई अस्पताल, पटना 2016 में एनएबीएच मान्यता प्राप्त करने वाला बिहार का पहला अस्पताल था। 30 सितंबर 2024 तक इस अस्पताल की बेड क्षमता 350 बेडों की है, जिसमें 80 आईसीयू बेड शामिल हैं।
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